आत्मा का बंधक
यह मानसिकबंदी है जो हमें अंदर से ही जकड़ लेता है। हम खुद को बंधा हुआरखते हैं जैसे कि एक पक्षी जो अपनीखुद की चोंच से गीत गा नहीं सकता है ज�
यह मानसिकबंदी है जो हमें अंदर से ही जकड़ लेता है। हम खुद को बंधा हुआरखते हैं जैसे कि एक पक्षी जो अपनीखुद की चोंच से गीत गा नहीं सकता है ज�